भारत तेल की खपत में चीन को पछाड़ेगा, अगले 7 सालों में सबसे तेज वृद्धि होगी:
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत आने वाले 7 सालों में दुनिया में तेल की मांग बढ़ाने वाला सबसे बड़ा देश बन जाएगा। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत 2030 तक चीन को पीछे छोड़ देगा और उसकी तेल की खपत 12 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ जाएगी। भारत में तेल की खपत इतनी तेजी से बढ़ रही है कि यह दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में तीन गुना अधिक तेल की खपत करेगा।
तेल की बढ़ती मांग के पीछे कई अहम कारण हैं:
(1) सबसे बडा कारण सड़क पर चलने वाली गाड़ियां है
भारत में 90% लोगों और 70% सामानों की ढुलाई सड़क मार्ग से होती है, जहाँ डीजल मुख्य ईंधन है। देश की तेज आर्थिक विकास के साथ यात्रा, व्यापार और परिवहन बढ़ रहा है, जिससे सड़कों पर वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
(2) कारों की संख्या में उछाल
2023 में भारत में 5.8 करोड़ कारें थीं, जो 2000 के 70 लाख से 8 गुना वृद्धि है। भविष्य में और वृद्धि की उम्मीद है – 2030 तक, भारत में 40% अधिक कारें होंगी। यह तेल की मांग में वृद्धि का एक प्रमुख कारण होगा।
(3) दोपहिया और तिपहिया वाहनों की लोकप्रियता
भारत में 75% वाहन दो और तीन-पहिया हैं, जो सस्ते होने के कारण लोकप्रिय हैं। ये कम दूरी तय करते और कम तेल जलाते हैं, फिर भी कुल तेल मांग में अहम भूमिका निभाते हैं।
(4) डीजल ट्रकों का अत्यधिक उपयोग
भारत में ढाई टन से अधिक भार वाले डीजल ट्रकों का उपयोग अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक है, जो डीजल की खपत में वृद्धि का प्रमुख कारण है। भारत में सड़क पर चलने वाले डीजल वाहनों में ट्रकों की खपत सबसे अधिक (70% डीजल खपत), जबकि डीजल कारें कुल कारों का 40-50% हैं। 2023-2030 के दौरान, भारत की तेल मांग में सबसे अधिक वृद्धि डीजल के कारण होने का अनुमान है।
(5) एसयूवी और पुरानी गाड़ियों की वजह से डीजल की मांग बनी रहेगी
भारतीय कारें 2015 के मुकाबले 2023 तक 8% ज्यादा माइलेज देने लगी हैं और दुनिया भर की कारों के औसत से 20% कम ईंधन इस्तेमाल करती हैं। लेकिन, भविष्य में यह सुधार कम हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सड़कों पर एसयूवी की संख्या बढ़ रही है, लोग अपनी पुरानी गाड़ियों को कम बदल रहे हैं, और ट्रकों को ज्यादा माइलेज देने वाला बनाने में भी धीमी प्रगति हो रही है। इन सब वजहों से डीजल की मांग कम होने की संभावना नहीं है।
(6) सार्वजनिक परिवहन में डीजल खपत बढ़ सकती है
भारत में 20 शहरों में मेट्रो और लोकल ट्रेनें मौजूद हैं, साथ ही व्यापक बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं। कोरोना के कारण सार्वजनिक परिवहन के कम इस्तेमाल से बसों में डीजल की खपत 50000 बैरल प्रति दिन से अधिक घटी है। अगले 5 सालों में यह असर कम होने और डीजल की खपत फिर बढ़ने का अनुमान है।
(7) कृषि और वनों में डीजल का उपयोग
भारत में हर दिन कृषि और वनों में 200 किलोबैरल से अधिक डीजल का उपयोग होता है। यह भारत की कुल तेल खपत का लगभग 4% है और दुनिया भर के औसत से दोगुना से भी ज्यादा है। अनुमान है कि 2030 तक कृषि और वनों में डीजल की मांग कम या ज्यादा इतनी ही रहेगी। यह सड़क के बाहर इस्तेमाल होने वाले कुल डीजल का 45% हिस्सा बने रहेगा।
(8) जेट ईंधन की खपत में 6% की सालाना वृद्धि का अनुमान
2023 में, हवाई जहाजों में इस्तेमाल होने वाले जेट ईंधन की खपत केवल 3.4% थी, जो कुल तेल की खपत का बहुत कम हिस्सा है, लेकिन इसमें बढ़ने की काफी गुंजाइश है। अगले कुछ सालों में जेट ईंधन की खपत में हर साल करीब 6% की बढ़ोतरी का अनुमान है।
(9) सरकार की मुफ्त एलपीजी योजना का असर
भारत सरकार गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देकर स्वच्छ खाना पकाने को बढ़ावा दे रही है, जिससे 2015 से 2023 के बीच एलपीजी की मांग 51% (हर साल 5.3%) बढ़ गई है। अनुमान है, 2023-2030 के बीच हर साल 2.7% की वृद्धि होने की संभावना है, यानी करीब 200 किलोबैरल प्रतिदिन।
इलेक्ट्रिक वाहन: तेल की खपत में कमी लाने में योगदान
(1) पेट्रोल की मांग में गिरावट
इलेक्ट्रिक वाहनों (खासकर दो-पहिया और तिपहिया) की बढ़ती संख्या के कारण 2023-2030 में पेट्रोल की मांग केवल 0.7% प्रति वर्ष बढ़ने का अनुमान है। 2023 के अंत तक भारत में 35 लाख इलेक्ट्रिक वाहन थे, जिनमें 56% दो-पहिया, 38% तीन-पहिया और 5% कारें थीं। कुल इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में साल-दर-साल 50% की वृद्धि हुई है।
(2) 2030 तक आधे नए वाहन इलेक्ट्रिक होंगे
अनुमान है कि 2030 तक भारत में आधे नए दो-पहिया और तिपहिया इलेक्ट्रिक होंगे, साथ ही आठ में से एक कार या छोटा कमर्शियल वाहन भी इलेक्ट्रिक होगा। इलेक्ट्रिक कारों की कम होती कीमत और सरकार के ‘फेम (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ़ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स’ प्रोग्राम से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है।
यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत के भविष्य को प्रभावित कर सकती है।
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