डिजिटल बदलाव की नई लहर: कंटेंट क्रिएटर्स को मिल सकती है असली आज़ादी

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डिजिटल बदलाव की नई लहर: कंटेंट क्रिएटर्स को मिल सकती है असली आज़ादी

नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से क्रिएटर्स को मिल सकती है बेहतर कमाई, अपने कंटेंट पर पूरा हक और अपनी बात रखने की ज़्यादा आज़ादी

जनवरी 2025 में, भारत में लगभग 80 करोड़ 60 लाख इंटरनेट उपयोगकर्ता थे। यह संख्या देश की कुल आबादी के 55.3% हिस्से के बराबर है। सोशल मीडिया की बात करें, तो इसे इस्तेमाल करने वालों की तादाद लगभग 49 करोड़ 10 लाख तक पहुँच गई, जो आबादी का 33.7% है।

भारत में, पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में, यूट्यूब सबसे आगे है, जिसे लगभग 49 करोड़ 10 लाख लोग देखते हैं। इंस्टाग्राम भी तेज़ी से ऊपर आ रहा है, और पिछले साल इसके यूज़र्स में 14% का उछाल आया, जिससे यह संख्या लगभग 41 करोड़ 40 लाख हो गई। फेसबुक भी अपनी जगह बनाए हुए है, और लगभग 38 करोड़ 40 लाख लोग इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं। प्रोफेशनल्स के बीच लिंक्डइन भी खूब पसंद किया जा रहा है, और पिछले साल 25% की वृद्धि के साथ, इसके सदस्यों की संख्या लगभग 15 करोड़ तक पहुँच गई।

दिलचस्प बात यह है मैसेंजर और एक्स (ट्विटर) के भारतीय यूज़र्स में गिरावट देखी गई है। मैसेंजर के यूज़र्स 10.7% और एक्स (ट्विटर) के यूज़र्स 7.7% कम हो गए हैं।

भारत में सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएशन: चुनौतियाँ और नया अवसर

यह रुझान दर्शाता है कि भारत में बड़ी तादाद में लोग सोशल मीडिया पर कंटेंट देख भी रहे हैं और बना भी रहे हैं। सोशल मीडिया ने हर किसी को अपनी राय रखने का मंच तो दे दिया है, लेकिन कंटेंट बनाने वालों के सामने अभी भी कई चुनौतियाँ मौजूद हैं। लाखों लोग वीडियो, ब्लॉग, तस्वीरें और अन्य तरह की डिजिटल सामग्री बनाकर सोशल मीडिया पर खूब मेहनत करते हैं, पर उनके कंटेंट पर आखिरी निर्णय हमेशा इन प्लेटफॉर्म्स का ही होता है। यानी, कंटेंट क्रिएटर्स को अपनी बात कहने की आज़ादी तो मिली है, लेकिन वे पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हैं क्योंकि उनके कंटेंट का भविष्य प्लेटफॉर्म्स के नियमों और फैसलों पर निर्भर करता है।

कई बार कुछ सोशल मीडिया कंपनियाँ अपने नियम और तकनीकी प्रणाली (जैसे कि कौनसा वीडियो या पोस्ट ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा) बदल देती हैं, जिससे क्रिएटर्स का कंटेंट कम दर्शकों तक पहुँच पाता है। कई बार, बिना किसी ठोस कारण के उनके वीडियो या ब्लॉग पोस्ट को हटा दिया जाता है या उन पर चेतावनी (वार्निंग) लगा दी जाती है। यहां तक कि किसी विषय पर बोलने के कारण उनका अकाउंट भी बंद किया जा सकता है।

कमाई की बात करें तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आमतौर पर विज्ञापनों से पैसा मिलता है, लेकिन इसमें बहुत सी शर्तें होती हैं। उदाहरण के लिए, वीडियो पर विज्ञापन तभी आते हैं जब वह प्लेटफॉर्म की गाइडलाइंस के अनुरूप हो। इसके अलावा, छोटे क्रिएटर्स को तब तक कमाई का मौका ही नहीं मिलता, जब तक वे प्लेटफॉर्म की तय शर्तों (जैसे कि न्यूनतम फॉलोअर्स या व्यूअरशिप) को पूरा नहीं कर लेते। इस तरह, ज़्यादातर क्रिएटर्स अपनी मेहनत का लाभ नहीं उठा पाते।

यूट्यूब की नई मोनेटाइजेशन (कमाई) नीति: एआई से बने वीडियो पर कड़ा रुख

यूट्यूब 15 जुलाई 2025 से अपनी मोनेटाइजेशन नीति में बदलाव कर रहा है, जिसके तहत बिना मेहनत के .आई टूल्स से बनाए गए, एक जैसे और दूसरों के कंटेंट की नकल करने वाले वीडियोज़ पर रोक लगेगी। यूट्यूब ने स्पष्ट किया है कि जिन वीडियोज़ में क्रिएटर्स की खुद की मेहनत और नए विचार होंगे, उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन जो लोग सिर्फ .आई का इस्तेमाल करके जल्दीजल्दी एक जैसे वीडियो बनाते हैं, दूसरों के वीडियो काटकर अपलोड करते हैं या बिना नए कंटेंट के पुराने वीडियो दोबारा डालते हैं, उनकी कमाई बंद हो सकती है। हालांकि, अगर .आई टूल्स का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और वीडियो में कुछ नया हो, तो उन पर कोई रोक नहीं होगी। यूट्यूब पर लगभग 66 लाख कंटेंट क्रिएटर्स हैं, इन में से कुछ इस नए नियम से ज़रूर प्रभावित होंगे, लेकिन 15 जुलाई के बाद ही पता चल पाएगा कि यह बदलाव असल में कितना बड़ा है।

इसके अलावा, कंटेंट और डेटा का स्वामित्व पूरी तरह क्रिएटर्स के पास नहीं होता, क्योंकि यह प्लेटफॉर्म्स के सर्वर (कंप्यूटर) पर स्टोर किया जाता है।

इन प्रमुख चुनौतियों के कारण, गैरकेन्द्रीकृत सोशल मीडियाजैसे नए समाधान उभर रहे हैं। ये नए समाधान कंटेंट क्रिएटर्स को पारंपरिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की पाबंदियों से मुक्त होने में सक्षम बना सकते हैं। इसी कड़ी में, कई नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (जैसे: डायमंड ऐप, ऑडियस, माइंडस, डीट्यूब, मेस्टोडोन, चिंगारी) उभर रहे हैं, जिनका कथित तौर पर लक्ष्य कंटेंट क्रिएटर्स को ज़्यादा आज़ादी, बेहतर कमाई के नए तरीके और अपने कंटेंट और डेटा पर पूरा नियंत्रण देना है। इन नए प्लेटफॉर्म्स पर, क्रिएटर्स को सीधे अपने दर्शकों से जुड़ने, अपनी शर्तों पर ऑनलाइन दुनिया में अपनी पहचान बनाने और पैसा कमाने का सुनहरा अवसर प्राप्त हो सकता है।

कैसे बदल सकती है कंटेंट क्रिएटर्स की दुनिया?

(1) कमाई के नए रास्ते: कंटेंट बनाने वालों की कमाई का तरीका बदल रहा है। अभी सोशल मीडिया पर कंटेंट बनाने वाले सिर्फ विज्ञापन और ब्रांड के साथ काम करके पैसे कमाते हैं। लेकिन, अब कई नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रहे हैं जो कमाई के नए रास्ते दे रहे हैं। जैसे, कुछ नए प्लेटफॉर्म पर दर्शक सीधे कंटेंट बनाने वाले को पैसे भेज सकते हैं। कुछ नए प्लेटफॉर्म ‘टिपयाडिजिटल गिफ्ट का बटन देते हैं जिससे लोग कंटेंट क्रिएटर्स को सपोर्ट कर सकें। कुछ नए प्लेटफॉर्म अपने टोकन कंटेंट क्रिएटर्स को देते हैं, जिसे बेचकर असली पैसे में बदला जा सकता हैंसब्सक्रिप्शन का तरीका भी नया है जिसमें दर्शक हर महीने पैसे देकर अपने मनपसंद क्रिएटर का कुछ अलग तरह का कंटेंट देख सकते हैं जो सबके लिए नहीं होता। इन नए तरीकों से कंटेंट क्रिएटर्स पहले से ज़्यादा पैसे कमा सकते हैं

(2) नए प्लेटफॉर्म्स में समुदाय का राज: अभी जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं, उन पर कंटेंट कैसा होना चाहिए, इसके नियम बड़ी-बड़ी कंपनियाँ बनाती हैं। और वो कंपनियाँ अपने हिसाब से, अपने नियमों से कई बार कंटेंट को हटा भी देती हैं। लेकिन, जो नए प्लेटफॉर्म आ रहे हैं, उनमें ऐसा नहीं होगा। वहाँ पर कंटेंट को कंट्रोल करने की ताकत कंपनी के हाथ में नहीं रहेगी, बल्कि उन लोगों के हाथ में होगी जो उस प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल करते हैंयानी, लोगों का समुदाय ही मिलकर तय करेगा कि क्या सही है और क्या गलत है। सीधी बात है, कंटेंट को देखना और उस पर शिकायत करना, सब कुछ समुदाय के बनाए नियमों के हिसाब से होगा। जब नियम कंपनी नहीं, समुदाय बनाएगा, तो लोगों को अपनी बात कहने की ज़्यादा आज़ादी मिलेगी

(3) सीधे दर्शकों से जुड़ाव: अभी कंटेंट क्रिएटर्स को अपनी ऑडियंस तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बनाए नियमों (एल्गोरिदम) पर निर्भर रहना पड़ता है। अक्सर एल्गोरिदम क्रिएटर्स की पहुंच को सीमित कर देते है, जिससे कई बार ज़रूरी कंटेंट भी लोगों तक पहुँच नहीं पाता है। लेकिन नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ऐसा नहीं होगा। यहाँ कंटेंट बनाने वाले सीधे अपने दर्शकों से कनेक्ट कर सकते हैं। वे बिना किसी मध्यस्थ के अपना कंटेंट सीधे दर्शकों तक पहुँचा सकते हैं और उनसे सीधा सपोर्ट पा सकते हैं। इससे उनकी कमाई और उनके फॉलोअर्स पर किसी और कंपनी का कोई कंट्रोल नहीं रहेगा, वे खुद ही सब कुछ कंट्रोल कर पाएंगे

(4) कंटेंट पर स्वामित्व: अभी कंटेंट क्रिएटर्स का कंटेंट कंपनियों के सर्वर (कंप्यूटर) पर रहता है, और कंपनियां जब चाहें उस कंटेंट को हटा सकती है। लेकिन, नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट का पूरा मालिकाना हक क्रिएटर्स के पास ही रहेगा

ये बदलाव कंटेंट बनाने वालों के लिए बहुत अच्छा मौका है। अब बड़ी कंपनियों पर कम निर्भर रहना होगा और अपने कंटेंट का पूरा कंट्रोल अपने हाथ में होगा। ये सिर्फ टेक्नोलॉजी में बदलाव नहीं है, बल्कि डिजिटल दुनिया का एक अहम बदलाव है।

डेटा सोर्स: ग्लोबल डिजिटल रिपोर्ट इंडिया (फ़रवरी 2025)


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